इंडियन एजुकेशन सिस्टम की कमियां
1. व्यवहारिक ज्ञान का ना होना :-
भारतीय शिक्षा नीति की सबसे बड़ी कमी यह है कि भारतीय शिक्षा में व्यवहारिक ज्ञान का अभाव है जिसके कारण बच्चे कुछ सीखने के बजाय हमेशा रटने पर जोर देते हैं आप भली-भांति जानते हो कि हमारे द्वारा रटा हुआ ज्ञान हमें कभी भी जिंदगी के किसी भी मोड़ पर काम नहीं आएगा हमें सिर्फ और सिर्फ एक ही ज्ञान काम आएगा वह है हमने किन चीजों को अपने व्यवहार में शामिल किया है इसे व्यवहारिक ज्ञान कहते हैं जो कि आगे चलकर जिंदगी में हमें बहुत ही काम आता है
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2. बच्चों को हमेशा नौकरियों के लिए प्रेरित करना :-
हमारे प्यारे से देश में हमेशा बच्चों को यह पढ़ाया जाता है कि आप स्कूली जिंदगी के बाद नौकरियां कैसे हासिल करें इस कारण बच्चे स्कूलों में कुछ सीखने के बजाय हमेशा सीखते हैं कि बड़े होकर नौकरी कैसे हासिल की जाए
इस पर भारत के मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कहते हैं कि
" जब तक शिक्षा का मकसद नौकरियां पाना होगा तब तक समाज में नौकर ही पैदा होंगे मालिक नहीं "
इस महान हस्ती की बात से यह बिल्कुल स्पष्ट साबित हो जाता है की हमें नौकरी वाली सोच को साइड में रख कर स्कूल के समय व्यवहारिक ज्ञान पर जोर देना चाहिए
3. पढ़ाई के साथ किसी भी प्रकार की कला ना सिखाना :-
जापान में स्कूल पढ़ने वाले बच्चे को बहुत तरह के आत्मनिर्भरता के गुण सिखाए जाते हैं ताकि वह बच्चा स्कूल के बाद सरकारी नौकरी पर निर्भर ना रहे खुद का रोजगार खुद ही ढूंढे लेकिन हमारे प्यारे से मुल्क में शिक्षा के साथ हमें किसी भी प्रकार का आत्मनिर्भरता का गुण नहीं सिखाया जाता जिसके कारण हमारे देश में लाखों युवा बेरोजगार है वह शिक्षा पर इतने आदी हो गए हैं कि जिंदगी में किसी भी प्रकार का अन्य रोजगार नहीं कर सकते हैं
जबकि विकसित राष्ट्रों में वहां पढ़ने वाले बच्चे इतने सक्षम होते हैं कि स्कूल के समय से ही खुद का बिजनेस करना स्टार्ट कर देते हैं वही हमारे इंडिया के बच्चे अगर खुद का बिजनेस शुरू भी करना चाहे तो अनेक तरह के लोग टोकेगे बस अंतर साफ दिखाई दे रहा है कि हम विकसित राष्ट्रों से इतना पीछे क्यों है
4. भारतीय शिक्षा नीति में बच्चों को फेल न करने की पद्धति
भारतीय शिक्षा नीति में कहीं पर भी यह विवरण नहीं किया गया है कि बच्चे को आठवीं क्लास से पहले फेल किया जाए हमारे देश में क्या होता है कि किसी भी बच्चे को आठवीं क्लास तक फेल कतई नहीं करते हैं जिसके कारण बच्चे शुरुआती दौर में पढ़ाई में रुचि नहीं लेते जिसके कारण बच्चे बहुत ही कमजोर होते जाते हैं
वह बात तो अपनी सुनी ही होगी जिस मकान की नीव जितनी मजबूत होगी वह मकान उतना ही मजबूत होगा लेकिन हमारे इंडिया में एजुकेशन सिस्टम की नीव बहुत ही कमजोर है जिसके कारण बच्चे मन लगाकर नहीं पढ़ते हैं वह बच्चे किसी रोजगार से वंचित रह जाते हैं और सरकारी नौकरियों से भी इस कारण बच्चों को शुरुआती दौर में फेल न करना भारतीय शिक्षा नीति की सबसे बड़ी कमी है
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