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राज्यपाल :- वेतन, भत्ता और उसके कार्य | राज्यपाल कैसे बनता है

 नमस्कार दोस्तों आप सभी दोस्तों का मैं अपने ब्लॉग पर तहे दिल से इस्तकबाल करता हूं दोस्तों आज के इस ब्लॉग में मैं वकार अहमद खान आपको राज्यपाल से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने वाला हूं जो बातें आपने शायद ही आज तक सुनी  हो

 I am Waqar Ahmed Khan Welcome to my blog


 राज्यपाल :-

 दोस्तों राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य का मुखिया होता है लेकिन राज्य का शासन बहुमत दल का नेता  यानी मुख्यमंत्री चलाता है
 जिस तरह से केंद्र सरकार में केंद्र का संवैधानिक रूप से मुखिया राष्ट्रपति होता है लेकिन शासन की कमान प्रधानमंत्री  के हाथ में होती हैं ठीक उसी तरह राज्य की कमान मुख्यमंत्री के हाथों में होती है

 राज्यपाल का उल्लेख भारतीय संविधान में:-

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार भारत के प्रत्येक राज्य में मुख्यमंत्री की सहायता हेतु एक राज्यपाल का उल्लेख किया गया है
 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 155 में यह बताया गया है कि किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री को कानूनी सलाह देने हेतु राज्यपाल का होना आवश्यक हैं

राज्यपाल बनने के लिए योग्यता :-

 भारतीय संविधान के अनुच्छेद  157 के अनुसार राज्यपाल बनने के लिए निम्न योग्यताओं की आवश्यकता होती है
1. वह भारत का नागरिक हों
2. वह कम से कम 35 वर्ष आयु पूरी कर चुका हो
3. वह राज्य सरकार या केंद्र सरकार के अधीन किसी भी सार्वजनिक उपक्रम के लाभ के पद पर कार्यरत ना हो
4.  वह राज्य विधान मंडल ( विधान सभा  या  विधान परिषद ) का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो

राज्यपाल को शपथ कौन दिलाता है :-

 राज्यपाल को   उसके पद और  गोपनीयता की शपथ उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश दिलाता है

राज्यपाल की नियुक्ति कौन करता है :-

राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है
 दोस्तों राज्यपाल की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति भारत के प्रधानमंत्री की सिफारिश पर करता हैं

राज्यपाल को वेतन कितना मिलता है :-

फरवरी 2018 के बाद राज्यपाल को ₹350000 प्रत्येक माह की सैलरी मिलती है

 राज्यपाल के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें :-

1. राज्यपाल को जिस राज्य में राज्यपाल नियुक्त किया जाता है वह राज्य पाल उस राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए
2. 1964 से पहले राज्यपाल को नियुक्त करने की दूसरी प्रथा थी वह प्रथा यह थी कि राज्यपाल  की नियुक्ति से पहले उस राज्य के मुख्यमंत्री से  सलाह ली जाती थी लेकिन 1964 के बाद यह प्रथा पूर्ण रूप से बंद हो गई

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